एक बड़े भूकंप ने बुधवार को असम और आसपास के राज्यों के निवासियों को हिला दिया। मुख्य भूकंप के बाद भी आफ्टरशॉक्स ने क्षेत्र में खड़खड़ाहट जारी रखा ।
आकाश खरींटा द्वारा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की, टेंबलर विज्ञान लेखन प्रशिक्षु
उद्धरण: ,खरींटा आ , 2021, जोरदार भूकंप के झटके असम, Temblor, http://doi.org/10.32858/temblor.171
बुधवार की सुबह 7:51 बजे स्थानीय समय के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत के असम में एक ज़ोरदार भूकंप आया। भूकंपीय स्टेशनों के एक क्षेत्रीय नेटवर्क के माध्यम से भूकंप की निगरानी के लिए जिम्मेदार भारत की एजेंसी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने निर्धारित किया कि यह 6. 4 तीव्रता का भूकंप, ढेकियाजुली गाँव के उत्तर-पश्चिम में 4.8 मील (7.7 किलोमीटर) और तेजपुर, जोकि ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे एक शहर हैं , से 26.7 मील (43 किलोमीटर) की दूरी पर था।
एनसीएस की रिपोर्ट है कि भूकंप 10.5 मील (17 किलोमीटर) की गहराई पर फटा। यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे और यूरोपियन मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर दोनों की रिपोर्ट है कि यह घटना 6.0 तीव्रता के भूकंप के रूप में दर्ज की गई है। उन्होंने भूकंप की तुलना में लगभग 620 मील (1000 किलोमीटर) से अधिक दूर स्थित स्टेशनों से एकत्र किए गए टेलीसिज़्मिक डेटा का उपयोग करके इस परिमाण की गणना की।
लगभग 70 आफ्टरशॉक (पाशर्वघाती भूकंप, जो मुख्य भूकंप के बाद में आते हैं ) 2.3 से 4.9 तक के परिमाण के साथ, एनसीएस द्वारा मेनशॉक (मुख्य भूकंप) के एक दिन के भीतर पता लगाया गया है। ये भूकंप मेनशॉक के पास उत्तर-पश्चिम-दक्षिण-पूर्वी प्रवृत्ति के साथ संरेखित होते हैं। बड़े भूकंप के बाद आफ्टरशॉक्स आम होते हैं, और समय के साथ कम होते जाते हैं।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से सतर्क रहने का आग्रह किया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस क्षेत्र के लोगों को आश्वासन दिया कि भारत की केंद्र सरकार उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
अब तक, जीवन के नुकसान की कोई तत्काल रिपोर्ट नहीं है, हालांकि कई वीडियो गुवाहाटी, तेजपुर शहर और बंगाल राज्य में बुनियादी ढांचे की गंभीर क्षति दर्शाते हैं।
हिमालय की तलहटी में एक भूकंप
असम राज्य भारत के उत्तरपूर्वी भुजा में, भूटान के पहाड़ी देश और अरुणाचल प्रदेश के बीहड़ राज्य के दक्षिण में स्थित है। असम भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच अभिसरण के प्रभावों को महसूस करता है, इस अभिसरण के कारण ही पहाड़ो का निर्माण होता हैं। दक्षिणी हिमालयी थ्रस्ट फॉल्ट – दो प्लेटों (भारतीय और यूरेशियन) के बीच की सीमा को परिभाषित करता है।
इस सीमा की सतह की अभिव्यक्ति, जिसे अंतत: हिमालयी फ्रंटल थ्रस्ट या मेन फ्रंटल थ्रस्ट कहा जाता है, असम के उत्तरी हिस्से से गुजरती है और अतीत में कई बड़े भूकंपों की मेजबानी कर चुकी है, जबकि अपेक्षाकृत छोटे फाल्ट राज्य को अलग-अलग झुकावों से विभाजित करते हैं।
शिलांग का पठार, जो असम के दक्षिण में स्थित है, हिमालयन रेंज के अन्य भागों की तुलना में इस क्षेत्र को जटिल बनाता है। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में एक रॉयल सोसाइटी डोरोथी हॉजकिन फेलो बायरन एडम्स के अनुसार, “यह संभव है कि शिलॉन्ग पठार के पीछे भारतीय प्लेट, जिसमें असम भी शामिल है, में कम लचीली ताकत है, इसलिए यह आसानी से ओवरराइडिंग यूरेशियन प्लेट या नदियों से आने वाली तलछट, दोनों के भार के नीचे नहीं झुकता है, इसके बजाय, भारतीय प्लेट का यह हिस्सा, जिसमें अनियमित कोणों पर कई फॉल्ट्स हैं, टूटता है। पूर्व में भारतीय प्लेट में अधिक विषमताएं हो सकती हैं, इसलिए जैसे ही प्लेट को नीचे गिराने की कोशिश की जाती है, यह झुकने के बजाय टूट जाती है, जिससे हिमालय की सीमा और शिलांग पठार के बीच अधिक उत्तर-पश्चिम ट्रेंडिंग फॉल्ट्स पैदा होते हैं।”
इस क्षेत्र के कई सक्रिय फॉल्ट्स के कारण, एनसीएस इस क्षेत्र को उच्चतम भूकंपीय खतरे (जोन 5) में वर्गीकृत करता है।
कोपिली फॉल्ट
एनसीएस द्वारा प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, कोपिली फॉल्ट के पास मेनशॉक की संभावना है। उत्तर- पश्चिम दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवर्तित यह फाल्ट दर्शाता है कि यह “मामूली” फॉल्ट है, हालांकि यह अभी भी पर्याप्त भूकंपीय गतिविधि में सक्षम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस फाल्ट ने 1869 की तीव्रता-7.5 चचर भूकंप और 1947 की तीव्रता-7.3 हाजोई भूकंप (Sutar et. al. 2017) की मेजबानी की। इस फाल्ट ने 1941 की तीव्रता -6.5 भूकंप (Kayal et. al. 2010) में भी भूमिका निभाई हो सकती है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता सीस्मोलॉजिकल ऑब्जर्वेटरी के एक प्रोफेसर सुप्रियो मित्रा के अनुसार, कोपिली फॉल्ट ज़ोन दाएं-लेटरल स्ट्राइक-स्लिप मोशन के साथ चलता है, जिसका अर्थ है कि यदि आप फाल्ट लाइन पर खड़े होकर दक्षिण से उतर की तरफ देखे तो फाल्ट का दाहिना हिस्सा आपके पास आता हुआ बाय हिस्सा आपसे दूर जाता दिखेगा। संदर्भ के लिए, यह प्रसिद्ध सैन एंड्रियास फॉल्ट के मोशन की समान भावना है। शिलॉन्ग पठार उत्तर की ओर बढ़ता है, मित्रा का कहना है, कि कोपिली फॉल्ट क्षेत्र द्वारा शिल्लोंग पठार के उत्तरी बढ़ाव को समायोजित किया जा सकता है।
एडम्स बताते हैं कि संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा उत्पादित फोकल मैकेनिज्म दाएं-लेटरल स्ट्राइक-स्लिप मोशन के साथ-साथ एक पर्याप्त जोर (thrust) घटक को इंगित करता है। “अगर आप हिमालय रेंज और शिलांग पठार के बीच उत्तर-ट्रेंडिंग फॉल्ट्स पर कुछ अपरूपण तनाव (Shear stress) डालते हैं, तो आप असम जैसे भूकंप की उम्मीद कर सकते हैं ।”
संदर्भ
Kayal, J. R., Sergei S. Arefiev, Saurabh Baruah, Ruben Tatevossian, Naba Gogoi, Manichandra Sanoujam, J. L. Gautam, Devajit Hazarika, and Dipak Borah. “The 2009 Bhutan and Assam felt earthquakes (Mw 6.3 and 5.1) at the Kopili fault in the northeast Himalaya region.” Geomatics, Natural Hazards and Risk 1, no. 3 (2010): 273-281.
National Centre for Seimology Report on 28th April 2021 Earthquake (M 6.4), Sonitpur, Assam, https://seismo.gov.in/sites/default/files/pressrelease/Assam_EQ_Report_28Apr2021.pdf
Sutar, A. K., Verma, M., Pandey, A. P., Bansal, B. K., Prasad, P. R., Rao, P. R., & Sharma, B. (2017). Assessment of maximum earthquake potential of the Kopili fault zone in northeast India and strong ground motion simulation. Journal of Asian Earth Sciences, 147, 439-451.
अग्रिम पठन के लिए
Clark, M. K., & Bilham, R. (2008). Miocene rise of the Shillong Plateau and the beginning of the end for the Eastern Himalaya. Earth and Planetary Science Letters, 269(3-4), 337-351.
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